1. 7 फेरों का अर्थ (सप्तपदी क्या है?)
हिंदू विवाह संस्कार में सप्तपदी (सात फेरे) अत्यंत महत्वपूर्ण चरण होता है। यह सात वचनों (प्रतिज्ञाओं) का प्रतीक होता है, जिसे वर और वधू अग्नि के चारों ओर सात बार घूमकर पूरा करते हैं। सप्तपदी का शाब्दिक अर्थ होता है "सात कदम", जो पति-पत्नी के बीच अटूट बंधन का संकेत देते हैं।
2. 7 फेरों की उत्पत्ति (कैसे शुरू हुए?)
हिंदू धर्म में विवाह को एक संस्कार और धर्म माना गया है, न कि केवल एक सामाजिक अनुबंध। यह परंपरा वेदों और ग्रंथों में वर्णित है, विशेष रूप से ऋग्वेद, यजुर्वेद और गृह्यसूत्रों में।
- हिंदू विवाह में अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए जाते हैं, जो वैदिक काल से चली आ रही परंपरा है।
- यह रस्म पति-पत्नी के बीच सात जन्मों तक का पवित्र बंधन स्थापित करती है।
- संस्कृत मंत्रों के उच्चारण के साथ यह प्रक्रिया पूरी की जाती है।
3. 7 फेरों का महत्व हिंदू विवाह में
सप्तपदी हिंदू विवाह का सबसे पवित्र और अनिवार्य हिस्सा है। इसे विवाह की "पूर्णता" का प्रतीक माना जाता है।
- सात फेरों के बाद ही विवाह वैध और स्थायी माना जाता है।
- यह प्रेम, निष्ठा, समर्पण, और एक-दूसरे की देखभाल का वचन होता है।
- यह केवल सांसारिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है।
4. 7 फेरों के सात वचन और उनका अर्थ
प्रत्येक फेरे के साथ वर और वधू एक वचन लेते हैं:
पहला फेरा:
- वर: मैं तुम्हारे और परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी निभाऊंगा।
- वधू: मैं तुम्हारी हर आवश्यकता में साथ दूंगी और परिवार को संभालूंगी।
दूसरा फेरा:
- वर: मैं तुम्हें हमेशा प्रेम, सम्मान और सुरक्षा दूंगा।
- वधू: मैं हर परिस्थिति में तुम्हारा साथ दूंगी और स्नेह दूंगी।
तीसरा फेरा:
- वर: हम ईश्वर की कृपा से संपन्न जीवन व्यतीत करेंगे।
- वधू: मैं हमेशा तुम्हारे हर धार्मिक और नैतिक कर्तव्यों में तुम्हारा साथ दूंगी।
चौथा फेरा:
- वर: हम अपने परिवार और बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण करेंगे।
- वधू: मैं परिवार की मर्यादा बनाए रखूंगी और संस्कार दूंगी।
पाँचवाँ फेरा:
- वर: मैं तुम्हारी इच्छाओं का सम्मान करूंगा और तुम्हें सहयोग दूंगा।
- वधू: मैं हर परिस्थिति में तुम्हारा साथ निभाऊंगी।
छठा फेरा:
- वर: हम हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ देंगे।
- वधू: मैं हमेशा तुम्हारे सुख-दुख में सहभागी रहूंगी।
सातवाँ फेरा:
- वर: हम जीवनभर मित्रवत रहेंगे और एक-दूसरे का सम्मान करेंगे।
- वधू: मैं तुम्हें हमेशा अपना जीवनसाथी मानूंगी और सच्चे मन से निभाऊंगी।
5. निष्कर्ष
हिंदू विवाह केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन होता है। सात फेरों के साथ ही विवाह संपन्न होता है, और यह दांपत्य जीवन की नींव रखता है। सप्तपदी का हर चरण जीवन के धार्मिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों को दर्शाता है, जो विवाह को स्थायी और पवित्र बनाता है।
👉 इसलिए, 7 फेरे हिंदू विवाह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो पति-पत्नी के बीच जीवनभर के प्रेम, निष्ठा और कर्तव्य का प्रतीक होते हैं।